Tuesday 15 December 2015

शुभकामना

दीयों की रौशनी से तेरा आंगन झिलमिलाए

आरती की गूंज से सारा आसमां गुंजाए

आलोकपर्व तेरे लिए कल्याणकारी हो

ईश अपनी  कृपा का रस सदा बरसाए

अवसाद जिंदगी के रहें दूर तुझ से

हर्षोल्लास तेरे  गीत गुनगुनाए

रिश्तों में प्रेम -आत्मीयता बनी रहे

मोती-सा रूप तेरा सदा जगमगाए


            डाॅ.विनोद कालरा
प्रहरी बन जो देहरी के दीप सा
जलता है।
बहिन की आँखों में सपना बन पलता है।
भाई है  वो जिसके सूरज- से माथे पर
बहिन  का तिलक  चन्दन सा खिलता  है।
आँखों के नूर हैं ये मन की मधुर भावना
जुग जुग जियें  यही हर बहन की आराधना।
        डाॅ.विनोद कालरा